llll
प्रभु शरणं के पोस्ट की सूचना WhatsApp से चाहते हैं तो अपने मोबाइल में हमारा नंबर 9871507036 Prabhu Sharnam के नाम से save कर लें। फिर SEND लिखकर हमें उस नंबर पर whatsapp कर दें।
जल्दी ही आपको हर पोस्ट की सूचना whatsapp से मिलने लगेगी।
अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

एक रोज एक महात्मा अपने शिष्य के साथ भ्रमण पर निकले। गुरुजी को ज्यादा इधर-उधर की बातें करना पसंद नहीं था. कम बोलना और शांतिपूर्वक अपना कर्म करना ही गुरू को प्रिय था परन्तु शिष्य बहुत चपल था.

उसे हमेशा इधर-उधर की बातें ही सूझती. उसे दूसरों की बातों में बड़ा ही आनंद मिलता था. चलते हुए जब वे तालाब के पास से होकर गुजर रहे थे तो देखा कि एक मछुआरे ने नदी में जाल डाल रखा है.

शिष्य यह देख खड़ा हो गया और मछुआरे को ‘अहिंसा परमो धर्म’ का उपदेश देने लगा. मछुआरे ने उसे अनदेखा किया लेकिन शिष्य तो उसे हिंसा के मार्ग से निकाल लाने को उतारू ही था.

शिष्य और मछुआरे के बीच झगड़ा शुरू हो गया. यह देख गुरूजी शिष्य को पकड़कर ले चले और समझाया- बेटा हम जैसे साधुओं का काम सिर्फ समझाना है लेकिन ईश्वर ने हमें दंड देने के लिए धरती पर नहीं भेजा है.

शिष्य ने पूछा- हमारे राजा को तो बहुत से दण्डों के बारे में पता ही नही है और वह बहुतों से लोगों को दण्ड ही नहीं देते हैं. तो आखिर इस हिंसक प्राणी को दण्ड कौन देगा?

गुरू ने कहा- तुम निश्चिंत रहो इसे भी दण्ड देने वाली एक अलौकिक शक्ति इस दुनिया में मौजूद है जिसकी पहुंच सभी जगह है. ईश्वर की दृष्टि सब तरफ है और वह सब जगह पहुंच जाते हैं. इसलिए इस झगड़े में पड़ना गलत होगा.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here