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इंद्र से भी मिला है हनुमानजी को इच्छामृत्यु का वरदान
जब हनुमानजी सूर्यदेव की ओर लपके तो राहु उसी समय उन्हें ग्रसने जा रहा था। हनुमानजी ने सोचा कि उनके फल को कोई और चखने आ रहा है सो उन्होंने राहु पर प्रहार करके भगा दिया।
राहु को देव-असुर समझौते के अंतर्गत सूर्य और चंद्रमा को ग्रसने का अधिकार मिला था। राहु इस बात की शिकायत लगाने इंद्र के पास पहुंचे और पूछा कि आपने ग्रसने का मेरा अधिकार छीनकर किसी और को कैसे दे दिया है?
इंद्र ने मना किया कि उन्होंने कोई नई व्यवस्था नहीं बनाई है। वह राहु को लेकर चले। उन्हें हनुमानजी दिख गए। इंद्र ने उन्हें रोकने के लिए वज्र का प्रहार कर दिया। हनुमानजी ने इंद्र का मान रखने के लिए उस प्रहार से मूर्च्छा ले ली।
पवनदेव अपने पुत्र पर आक्रमण से क्रोधित होकर छुप गए। सृष्टि पर संकट आ गया। सभी देवताओं ने हनुमानजी को तरह-तरह के वरदान दिए। तब इंद्र ने हनुमान जी को वरदान दिया था कि आपकी मृत्यु तब तक नहीं होगी जब तक स्वयं आपको मृत्यु की इच्छा नहीं होगी। इस तरह चिरंजीवी होने की एक कथा मिलती है।
सीताजी द्वारा हनुमानजी को अमरत्व का वरदान? पढ़ें अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.
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