प्रभु शरणम् को अपना सबसे उपयोगी धार्मिक एप्प मानने के लिए लाखों लोगों का हृदय से आभार- 100 THOUSAND CLUB में शामिल हुआ प्रभु शरणम्
तकनीक से सहारे सनातन धर्म के ज्ञान के देश-विदेश के हर कोने में प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रभु शरणम् मिशन की शुरुआत की गई थी. इस मोबाइल एप्पस से देश-दुनिया के कई लाख लोग जुड़े और लाभ उठा रहे हैं. सनातन धर्म के गूढ़ रहस्य, हिंदू ग्रथों की महिमा कथाओं और उन कथाओं के पीछे के ज्ञान-विज्ञान से हर हिंदू को परिचित कराने के लिए प्रभु शरणम् मिशन कृतसंकल्प है. देव डराते नहीं. धर्म डरने की चीज नहीं हृदय से ग्रहण करने के लिए है. इस पर कभी आपको कोई डराने वाले, अफवाह फैलाने वाले, भ्रमित करने वाले कोई पोस्ट नहीं मिलेगी. तभी तो यह लाखों लोगों की पसंद है. आप इसे स्वयं परखकर देखें. नीचे लिंक है, क्लिककर डाउनलोड करें- प्रभु शरणम्. आइए साथ-साथ चलें; प्रभु शरणम्!!
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
इसके साथ-साथ प्रभु शरणम् के फेसबुक पर भी ज्ञानवर्धक धार्मिक पोस्ट का आपको अथाह संसार मिलेगा. जो ज्ञानवर्धक पोस्ट एप्प पर आती है उससे अलग परंतु विशुद्ध रूप से धार्मिक पोस्ट प्रभु शरणम् के फेसबुक पर आती है. प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े. लिंक-
[sc:fb]
हनुमान जी की आयु के रहस्य का विवेचन करना सरल नहीं है। ऐसे तो ये अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम औऱ मार्कण्डेय इन आठ चिरजीवियों में से एक हैं, पर उन्हें केवल चिरजीवी कहना पर्याप्त नहीं है।
हनुमानजी कैसे चिरंजीवी हुए इसके संदर्भ में कई कथाएं हैं। आज उन कथाओं पर एक-एक करके चर्चा करेंगे और श्रीराम के चरणों में हनुमानजी के अनुराग का रस भी लेते रहेंगे।
इन्हें नित्यजीवी अथवा अजर-अमर कहना भी असंगत नहीं है क्योंकि लंका विजय के पश्चात हनुमानजी ने केवल श्रीराम में सदा के लिए अपनी निश्चल भक्ति की याचना की थी। इसी विनती में उन्होंने अमरत्व प्राप्त कर लिया।
जब भगवान ने हनुमानजी से कुछ मांगने को कहा तो उन्होंने भगवान के चरणों में अटल भक्ति मांग ली। इससे प्रभु विभोर हो गए।
श्रीराम ने इन्हें हृदय से लगाकर कहा था- “कपिश्रेष्ठ! ऐसा ही होगा। संसार में जब तक मेरी कथा प्रचलित रहेगी तब तक तुम्हारी कीर्ति भी अमिट रहेगी औऱ तुम्हारे शरीर में प्राण भी रहेंगे। तुमने मुझ पर जो उपकार किए हैं उनका बदला मैं नहीं चुका सकता।”
इस प्रकार जब श्री राम ने इन्हें चिरकाल तक संसार में प्रसन्नचित्त होकर जीवित रहने का आशीर्वाद दिया तब इन्होंने भगवान से कहा- जब तक संसार में आपकी पावन कथा का प्रचार होता रहेगा तब तक मैं आपकी आज्ञा का पालन करता हुआ पृथ्वी पर रहूँगा।”
सुंदरकांड हनुमानजी को विशेष प्रिय क्यों है? पढ़ें अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.