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कैसे करें अक्षय नवमी की पूजाः

सबसे पहले देवी कूष्मांडा की आराधना की जाती है. उनका स्मरण करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करेंः

दुर्गति नाशिन त्वहं दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयदां धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यम् अहं।।

इसके बाद कर्पूर जलाकर नीचे लिखे मंत्र से आंवला वृक्षकी पूजा करने के बाद परिक्रमा करें एवं अक्षय सुख-समृद्धि एवं आरोग्य की कामना करें. आंवले के चारों तरफ कच्चा सूत की रक्षा लपेटी जाती है. आंवला वृक्ष की 108 बार परिक्रमा का विधान है.

मंत्रः
यानि कानि च पापानि जन्मातरकृतानि च।
तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।

परिक्रमा पूरी करने के बाद आंवला वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में मुख करके “ऊं धात्र्ये नमः” मंत्र से आंवले की जड़ में दूध की धार गिराते हुए पितरों को तर्पण करें. कर्पूर व घी के दीपक से आरती कर प्रदक्षिणा करें.
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