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सोम ने अमृत कलश लिया और मां पिता के पास पहुंच कर उनके चरणों में प्रणाम किया फिर अमृत पीने का आग्रह किया. पर वे तो बिना अमृत पीए ही भले चंगे थे. उनकी तो समूची देह चमक रही थी.

सोम माता पिता को स्वस्थ देख खुश था. पिता अपने बेटे की पितृभक्ति देख प्रसन्न थे. शिवशर्मा ने सोम को अनगिनत आशीर्वाद दिए. उसी समय एक दिव्य विमान उतरा जो विष्णु लोक से आया था.

सोमशर्मा सहित उनके माता-पिता को बिठाकर विष्णुलोक को रवाना हो गया. सोमशर्मा की इस अद्भुत भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु भी बड़े प्रसन्न हुए. अगले जन्म में सोमशर्मा महान विष्णुभक्त प्रह्लाद हुए.(स्रोतः पद्म पुराण)

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