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बंदर से हाथी ने सीख लिया और वह भी यही करने लगा. जंगल के हाथी से इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी और उससे इंद्र को बात पता चल गई.
इंद्र ने देखा कि सभी प्राणी अपने-अपने कार्य में लगे हैं. उन्होंने सोचा शायद इन्हें पता नहीं है कि मैं बारह वर्षों तक नहीं बरसूंगा. ये अज्ञानता में अपना कर्म कर रहे हैं.
यह सोचकर इंद्र पृथ्वी पर आए और किसानों से बोले- यह क्या कर रहे हो? किसान बोले- भगवन! हमारा कर्म ही ईश्वर है. आप अपना कर्म पूरा करें न करें, हम तो अपना कर्म करते रहेंगे.
किसानों की बात सुन इंद्र लज्जित हो गए. उन्होंने अपनी जिद्द छोड़ी और हुए बादलों को बरसने का आदेश दिया. उन्होंने भगवान से अपनी भूल के लिए क्षमा मांग ली.
संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
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