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इस गोप कुमार ने शिवलिंग के दर्शन किए और उससे प्रेरणा लेकर स्वयं शिवपूजा में प्रवृत्त हुआ. यह कोई लौकिक या वैदिक मन्त्र नहीं जानता, किन्तु इसने बिना मन्त्रोच्चार के भक्ति निष्ठा के बल से भोलेनाथ की आराधना की और उन्हें प्राप्त कर लिया.

यह बालक गोप कुल की कीर्ति बढ़ाने वाला उत्तम शिवभक्त हो गया है. इसके कुल में आठवीं पीढ़ी में नन्द उत्पन्न होंगे. उनके यहां साक्षात नारायण अवतार लेकर श्रीकृष्ण के नाम से विख्यात होंगे.

यह गोप बालक भी, जिस पर भगवान शिव की कृपा हुई है, ‘श्रीकर’ गोप के नाम से विशेष प्रसिद्धि प्राप्त करेगा. यह बताकर हनुमानजी अदृश्य हो गए. कहते हैं भगवान महाकाल तब ही से उज्जयिनी में स्वयं विराजमान है.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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