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शिवजी की पूजा में अभिषेक का विधानः

शिवपुराण में कुछ विशेष अभिषेक का महत्व भी कहा गया है. हम एक भूल अक्सर कर देते हैं इससे बचना चाहिए.

शिवजी के अभिषेक की विधि श्रीहरि विष्णु ने ऋषियों के विशेष अनुग्रह पर बताई थीं जिनसे कई लोगों तक होती हुई हम तक पहुंची. पूरे भक्तिभाव से से भरकर अभिषेक से पूर्व श्रीहरि का स्मरण करके उन्हें आभार व्यक्त करना चाहिए कि हे देव आपकी कृपा से ही हमें इस दुर्लभ ज्ञान की प्राप्ति हुई है.

शिवजी को सर्वाधिक प्रिय जल है.कुछ भी संभव न हो तो ऊं नमः शिवाय का उच्चारण करते हुए शिवजी को लोटाभर जल चढ़ा देना चाहिए. फिर वहां बैठकर ऊं साम्ब शिवाय नमः की एक माला जप लेनी चाहिए. शिवजी इससे भी प्रसन्न रहते हैं.

सावन मास, शिवरात्रि, प्रत्येक मास की मास शिवरात्रि आदि विशेष अवसर होते हैं जब शिवजी की विशेष पूजा की जाती है. यह विशेष साधनाएं हैं जिसे तंत्रशास्त्र में भी माना गया है. विशेष साधनाएं विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती हैं.

अभिषेक संबंधी विधानः

यदि किसी गृहस्थ को ऐसा अनुभव होने लगे कि अकारण ही उसका शरीर उचाट होने लगा है. प्रियजनों के साथ संबंधों में मधुरता कम होने लगी है, उसके शारीरिक कष्टों में वृद्धि होने लगी है अथवा कलह बढ़ने लगा है तो उस व्यक्ति को दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए.

1. शिवलिंग पर शर्करायुक्त दुग्ध की धारा प्रवाहित करने से सभी दुख-क्लेश, संताप आदि बह जाते हैं.

2. विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है।

3. शत्रुओं से प्रतिशोध लेने की कामना हो तो शिवलिंग पर तेल की धारा से अभिषेक करना चाहिए.

4. सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रुनाश निश्चित है.

5. दूध से शिव जी का अभिषेक करने पर परिवार में कलह, मानसिक अवसाद व अनचाहे दुःख व कष्टों आदि का निवारण होता है.

6. वंश वृद्धि के लिए घी की धारा डालते हुये शिव सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए.

7. इत्र की धारा डालते हुये शिव का अभिषेक करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.

8. जलधारा डालते हुये शिव जी का अभिषेक करने से मानसिक शान्ति मिलती है.

9. शहद की धारा डालते हुये अभिषेक करने से रोग मुक्ति मिलती है, परिवार में बीमारियों का अधिक प्रकोप नहीं रहता है.

10. गन्ने के रस की धारा डालते हुये अभिषेक करने से आर्थिक समृद्धि व परिवार में सुखद माहौल बना रहता है.

11. शिव जी को गंगा की धारा बहुत प्रिय है. गंगाजल से अभिषेक करने पर चारों पुरूषार्थ की प्राप्ति होती है.

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