[sc:fb]
अब दोनों ने ही कारण पूछा कि किधर की यात्रा है? मालूम हुआ कि शिवजी ने भी रात्रि में इसी प्रकार का स्वप्न देखा मानों विष्णु भगवान को उसी रूप में देख रहे हैं, जिस रूप में वह अब उनके सामने खड़े थे.
दोनों के स्वप्न का वृतांत अवगत होने पर दोनों ही लगे एक दूसरे से अपने यहां ले जाने का आग्रह करने. नारायण कहते प्रभु वैंकुण्ठ पधारकर उसे धन्य करिए. शम्भू कहते कैलाश पर आपके चरण पड़ें तो आनंद आए. कैलाश चलकर कृतार्थ करिए.
दोनों के आग्रह में इतना अलौकिक प्रेम था कि यह निर्णय करना कठिन हो गया कि कहाँ चला जाये?
इतने में ही वीणा बजाते, हरिगुण गाते नारदजी कहीं से आ निकले. बस, फिर क्या था? किसे और किधर चलना चाहिए इसका निर्णय करने को नारदजी को कहा गया.
अब नारद जी तो स्वयं उस अलौकिक मिलन को देखकर आनंद में डूबे स्वयं अपनी सुध-बुध भूले बैठे थे. वह निर्णय करने के बदले झूमते-नाचते शिव-हरि के कीर्तन करने लगे.
अब निर्णय कौन करे? अंत में यह तय हुआ कि भगवती उमा जो निर्णय कर देंगी वही स्वीकार होगा. भगवती पहले तो कुछ देर चुप रहीं.
फिर निर्णय दिया- “हे नाथ! हे नारायण! आपलोगों के निश्छल, अनन्य एवम अलौकिक प्रेम को देखकर तो यही समझ में आता है कि आपके निवास- स्थान अलग-अलग नहीं हैं. जो कैलाश है वही वैकुण्ठ है और जो वैकुण्ठ है वही कैलाश है.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.
Bahut sunder jaankari hai
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
आप नियमित पोस्ट के लिए कृपया प्रभु शरणम् से जुड़ें. ज्यादा सरलता से पोस्ट प्राप्त होंगे और हर अपडेट आपको मिलता रहेगा. हिंदुओं के लिए बहुत उपयोगी है. आप एक बार देखिए तो सही. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा. हमें विश्वास है कि यह आपको इतना पसंद आएगा कि आपके जीवन का अंग बन जाएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक? https://goo.gl/tS7auA
Bahut sunder jankari hai
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
आप नियमित पोस्ट के लिए कृपया प्रभु शरणम् से जुड़ें. ज्यादा सरलता से पोस्ट प्राप्त होंगे और हर अपडेट आपको मिलता रहेगा. हिंदुओं के लिए बहुत उपयोगी है. आप एक बार देखिए तो सही. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा. हमें विश्वास है कि यह आपको इतना पसंद आएगा कि आपके जीवन का अंग बन जाएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक? https://goo.gl/tS7auA