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सागर ने उस बालक को अपनी संतान माना और उसका पालन किया. असुरराज कालनेमि की पुत्री वृंदा के साथ उसका विवाह कराया और फिर शुक्राचार्य के संरक्षण में जलंधर दैत्यों का राजा बना. दसवां अध्याय समाप्त, कथा जारी रहेगी.

संकलन व संपादनः राजन प्रकाश

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तो इस कारण होती है धन की देवी लक्ष्मी के साथ बुद्धि के देवता गणेशजी की भी पूजा

2 COMMENTS

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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