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एकबार दुर्वासा दुर्योधन के पास पहुंचे. दुर्योधन ने कई दिनों तक खूब सेवा की और प्रसन्न कर लिया. उन्होंने दुर्योधन से कुछ मांगने को कहा. दुर्योधन ने कहा- अभी पांडव बनवास पर हैं. आप उनके पास जाकर उनके अतिथि बनिए.
दुर्वासा सैकड़ों शिष्यों सहित पांडवों के पास पहुंचे और कहा- शिष्योंसहित स्नान करके आ रहा हूं. हमारे लिए तत्काल भोजन का प्रबंध करिए. द्रौपदी के पास अक्षय पात्र था लेकिन वह द्रौपदी के भोजन के उपरांत खाली हो जाता था.
द्रौपदी भोजन कर चुकी थीं. दुर्वासा के कोप से बचने के लिए उन्होंने श्रीकृष्ण का आह्वान किया. श्रीकृष्ण ने चावल के एक दाने से पांडवों को दुर्वासा के कोप से बचाया था. (महाभारत की कथा)
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