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ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों ने वरदान दिया कि समय आने पर तीनों के अंश उनके घर में पुत्ररूप में प्रकट होंगे. ब्रह्माजी के अंश से चंद्रमा, विष्णुदेव के अंश से भगवान दत्तात्रेय और रूद्र के अंश से दुर्वासा ऋषि का जन्म हुआ. (भागवत पुराण, बह्मवैवर्त पुराण)
दुर्वासा रूद्र के अवतार थे इसलिए उनमें क्रोध भी ज्यादा था. एक बार उन्होंने महान विष्णुभक्त राजा अंबरीष की परीक्षा ली थी. दुर्वासा ने एकादशी के पारण के लिए अंबरीष को प्रतीक्षा करने को कहा.
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