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चेले काक भुशुंडी चले अयोध्या की गलियों में और शोर मचा दिया कि एक परमसिद्ध ज्योतिषी अयोध्या पधारे हैं. वर्तमान, भूत, भविष्य सब चुटकियों में बस एक नजर देखकर ही बता सकते हैं.
अयोध्यावासी दौड़ पड़े सिद्ध से मिलने. महादेव की लीला थी, कुछ ही देर में पूरे अयोध्या में उनके ही ज्योतिष ज्ञान की चर्चा होने लगी. यह सूचना राजमहल भी पहुंच गई.
महारानी कौशल्या ने दूत भेजकर ज्योतिषी महाराज को सम्मानपूर्वक महल में बुलवाया. महादेव को तो बस इसी की प्रतीक्षा थी. उनके आनंद की कोई सीमा ही न रही. वह महल पहुंचे.
वहां बालरूप श्रीराम को माता की गोद में बैठे मंद-मंद मुस्कुराते देखा.
अन्य रानियां भी लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को लेकर पहुंचीं. सभी बालकों से ज्योतिषी महाराज के चरणों में शीश नवाया गया. सबने उनसे बालकों के भविष्य वर्णन का अनुरोध किया.
उन्होंने ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के लिए विश्वामित्र के यज्ञ में पराक्रम, राक्षसों का वध, विवाह आदि के प्रसंग विस्तार से सुनाए. माता को पुत्र के विवाह प्रसंग में विशेष रूचि होती है.
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