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शनि पीड़ा की शांति के उपायः

सबसे पहले मैं आपको बताता हूं ऐसे उपायों के बारे में जिसे आपको स्वयं करना है तभी लाभ है. उपाय कठिन नहीं है, इसलिए सरलता से किया जा सकता है. इऩमें से जितने संभव हों उतने उपाय कर लें.

हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, दशरथ कृत शनिस्तोत्र का यथासंभव स्वयं पाठ करना चाहिए.

अपाहिजों, बीमारों की सेवा करनी चाहिए. गरीबों को काला कंबल दान करना चाहिए.

अपने से बड़ों के प्रति आदर का भाव रखना चाहिए. माता-पिता की सेवा करें.

मांस-मदिरा के सेवन से बचें और यथासंभव सत्य ही बोलें.

सरसों के तेल का छाया पात्र में दान. एक बड़े कटोरे में सरसों का तेल लें. उसमें पांच का सिक्का डालकर अपनी छाया देखें. फिर वह तेल किसी को दान कर दें.

शनिवार को काले उड़द पीसकर उसके आटे की गोलियां या किसी भी आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाना चाहिए.

चीटिंयों के लिए शनिवार को चीनी मिश्रित आटा खाने के लिए एकांत में रख देना चाहिए.

शनिवार की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पीपल की सात बार परिक्रमा भी करें.

शनि की ढैया से ग्रस्ति व्यक्ति को हनुमान चालीसा का सुबह-शाम यथासंभव पाठ करना चाहिए.

शनिवार के दिन एक रोटी में गुड़ घी लगाकर अपने सिर के ऊपर से सात बुरा घुमाकर कुत्ते के खिलाने से लाभ होता है. इसे भैरव प्रयोग कहा जाता है. रोटी घुमाते समय कोई टोके नहीं इसका ध्यान रखें. इसे कम से कम चार शनिवार और अधिकतम 16 शनिवार को करना चाहिए.

शनिवार के दिन किसी चौराहे पर जाकर पांच सिक्कों को मुठ्ठी में बंद करके अपने सिर पर से सात बार घुमाकर वहीं चौराहे पर रख देना चाहिए. यह प्रयोग एक या दो बार करने से भी लाभ होता है.

जब पीडा असहनीय हो जाए तो क्या करें, अगले पेज पर देखें. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

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