[sc:fb]

एक दिन बाग की मालकिन ने सम्पदा देवी की कथा करवायी. सबको बुलवाया. दमयंती भी गयी थी उसने भी कथा सुनकर सम्पदा देवी का डोरा ले लिया. राजा ने रानी से फिर पूछा ये कैसा डोरा पहना है?

दमयंती बोली यह वही डोरा है जिसे आपने एक बार तोडकर फेंक दिया था. हमें इतनी विपत्तियाँ झेलनी पडी. सम्पदा देवी हम पर नाराज हो गयीं. दमयंती ने कहा, यदि सम्पदा माता सच्ची हैं तो हमारे दिन फिर से लौट आएगे.

उसी रात नल ने सपना देखा. एक स्त्री कह रही हैं मैं जा रही हूँ, दूसरी स्त्री मैं आ रही हूँ. राजा के पूछने पर पहली औरत ने अपना नाम दरिद्रा तो दूसरी ने लक्ष्मी बताया. राजा ने लक्ष्मी से पूछा अब तो नहीं जाओगी.

लक्ष्मी बोली यदि तुम्हारी पत्नी सम्पदा का डोरा लेकर कथा सनती रहेगी तो कभी नही पर तुम डोरा तोड दोगे तो चली जाऊँगी. उधर बाग की मालकिन किसी रानी को हार देने जाती थी उस हार को दमयन्ती गूंथती थी.

रानी को दमयंती का बनाया हार बहुत पसंद आया. रानी के पूछने पर बाग़ की मालकिन ने बताया कि उसकी नौकरानी ने बनाया है. रानी ने बाग की मालकिन से दोनों के नाम पूछने को कहा. उसने नाम पूछे तो पता चला कि वे नल दमयंती हैं. बाग का मालिक ने उन्हें आदर सहित कुछ धन दिया और उनसे क्षमा माँगने लगा.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here