[sc:fb]

मंदोदरी ने तीर्थयात्रा पर जाने का बहाना बनाया और इसके लिए विशेष विमान बुलवाया. उस विमान में रहकर भी वह अप्रकट थी. तीर्थ करने के बहाने विमान से कुरुक्षेत्र आ गईं.

यहां आकर मंदोदरी ने गर्भ गिरा दिया और उस अजन्मे बच्चे को एक सुंदर से कलश में रख जमीन में गाड दिया.

इतना सब करने के बाद मंदोदरी लंका लौट गयी. कुछ समय बीत जाने के बाद राजा जनक की मिथिला में भयानक अकाल पड़ा.

राजा जनक का लगभग समूची धरती पर ही राज था. ज्योतिषियों ने हिसाब-किताब लगाकर बताया कि कहां हल चलाने से वर्षा होगी और समूचे देश में अन्न उपजेगा.

उन्हीं के कहने पर वे कुरुक्षेत्र गए और बतायी गयी जगह पर ही सोने के हल से खेत को जोता. हल ने जब जमीन को फाड़ा तो एक कलश निकल आया.

कलश खोलकर देखा गया तो उसमें एक नवजात कन्या थी. कन्या के कलश से निकलते ही आसमान से फूलों की बारिश होने लगी.

इस पुष्पवर्षा के बीच एक आकाशवाणी हुई- राजा जनक! कन्या अब तुम्हारी जिम्मेदारी है. हल की रेखा (सीत) से निकलने के कारण इस कन्या का नाम सीता होगा.

क्या सीता जी वास्तव में रावण की बेटी थीं और यह बात रावण को पता थी? राम कथा के कई प्रसंग इस तरफ इशारा करते हैं.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here