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हे पार्वती इसी कारण बिल्व का वृक्ष, उसके पत्ते, फलफूल आदि मुझे बहुत प्रिय है. मैं निर्जन स्थान में विल्ववृक्ष का आश्रय लेकर रहता हूं.
विल्ववृक्ष को सदा सर्वतीर्थमय एवं सर्वदेवमय मानना चाहिए. इसमें तनिक भी संदेह नहीं है. विल्वपत्र, विल्वफूल, विल्ववृक्ष अथवा विल्वकाष्ठ के चन्दन से जो मेरा पूजन करता है वह भक्त मेरा प्रिय है.
विल्ववृक्ष को शिव के समान ही समझो. वह मेरा शरीर है. जो विल्व पर चंदन से मेरा नाम अंकित करके मुझे अर्पण करता है मैं उसे सभी पापों से मुक्त करके अपने लोक में स्थान देता हूं.
हे देवी उस व्यक्ति को स्वयं लक्ष्मीजी भी नमस्कार करती हैं जो विल्व से मेरा पूजन करते हैं. जो विल्वमूल में प्राण छोड़ता है उसको रूद्र देह प्राप्त होता है.
मेरी पूजा के लिए बेल के उत्तम पत्तों का ही प्रयोग करना चाहिए. (योगिनीतंत्रम् ग्रंथ से)
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