हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
शिवजी ने समझाया, “तुम मेरी पूजा के बाद फल की अपेक्षा रखते थे लेकिन इस भील ने निःस्वार्थ सेवा की. इसने मुझे अपवित्र नहीं किया. इसे अपने प्रियजन की सेवा का यही तरीका आता है. मैं तो भाव का भूखा हूँ. इसके भाव ने जो तृप्ति दी है वह फल-मेवे में नहीं है.”

प्रेम से बोलिए भोले भंडारी महादेव की जय

लेखकः मीरा श्रीवत्स

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here