संसार के प्रत्येक प्राणी को परमात्मा का अंश मानकर उसके साथ उचित व्यवहार करे. अपने ह्दय में प्रेम, करूणा और धर्म को स्थान देकर परम आनन्द को प्राप्त करे जो उसे मुक्ति का मार्ग दिखाए.

विवेक का प्रयोग हम वैसे नहीं कर रहे जो प्रभु की इच्छा है. हमने गलत व्याख्या कर ली कि चाहे तमाम पाप कर लो लेकिन पूजा-पाठ या दान करो तो सब पापों से मुक्ति हो जाएगी. यह कुछ और नहीं बल्कि नदी के छोरों के पास आने की प्रतीक्षा जैसा है.

यह कथा मुरादाबाद यूपी से अजय सैनीजी ने भेजी है. अजयजी कंप्यूटर इंजीनयरिंग के विद्यार्थी हैं. यदि आपके पास भी है कोई प्रेरक या धार्मिक कथा तो हमें भेजें.

askprabhusharnam@gmail.com पर मेल करें या 9871507036 पर Whatsapp करके कथा भेज सकते हैं. यदि कथा अप्रकाशित और एप्प के मुताबिक हुई तो हम उसे अवश्य प्रकाशित करेंगे.

लेटेस्ट कथाओं के लिए प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करें।
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

प्रभु शरणम्

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here