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खरगोशों के अस्तित्व पर संकट आ गया. खरगोशों ने सभा करके विचार किया कि कोई उपाय लगाकर हाथियों को यहां आने से रोकना होगा नहीं तो कुछ ही दिनों में हमारा समूल नाश हो जाएगा.

एक बुजुर्ग खरगोश ने कहा- शास्त्र कहते हैं कुल की रक्षा के लिए व्यक्ति, समाज और क्षेत्र का त्याग करना पड़े तो उसे बिना देर किए कर लेना चाहिए.

दूसरे ने कहा- शास्त्र यह भी कहते हैं कि जो अपनी पुरखों की भूमि की रक्षा का प्रयास भी नहीं करता उसका जीवन व्यर्थ है. बेशक हम हाथियों के समक्ष तुच्छ हैं किंतु हीनता कभी मन में नहीं होनी चाहिए.
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