हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[fblike]

राजा ने सेवकों द्वारा इस प्रकार लाए जाने के लिए सन्त से क्षमा मांगी. संत ने सहज भाव से क्षमा कर दिया और पूछा ऐसी क्या शीघ्रता आ पड़ी महाराज जो रस्सी में ही खिंचवा लिया!

राजा ने एक प्रश्न का उत्तर पाने के लिए मैं अचानक ऐसा बेचैन हो गया कि आपको यह कष्ट हुआ.

संत मुस्कुराए और बोले- ऐसी व्याकुलता थी अर्थात कोई गूढ़ प्रश्न है. बताइए क्या प्रश्न है.

राजा ने कहा- प्रश्न यह है कि भगवान् शीघ्र कैसे मिलें, मुझे लगता है कि आप ही इसका उत्तर देकर मुझे संतुष्ट कर सकते हैं? कृपया मार्ग दिखाएं.

सन्त ने कहा‒‘राजन् ! इस प्रश्न का उत्तर तो तुम भली-भांति जानते ही हो, बस समझ नहीं पा रहे. दृष्टि बड़ी करके सोचो तुम्हें पलभर में उत्तर मिल जाएगा.

राजा ने कहा‒ यदि मैं सचमुच इस प्रश्न का उत्तर जान रहा होता तो मैं इतना व्याकुल क्यों होता और आपको ऐसा कष्ट कैसे देता. मैं व्यग्र हूं. आप संत हैं. सबको उचित राह बताते हैं.

मुझे भी मार्ग दिखाएं. मेरी बुद्धि के बंद दरवाजे खोलें और इसका उत्तर देकर मेरी जिज्ञासा शांत करें.

राजा एक प्रकार से गिड़गिड़ा रहा था और संत चुपचाप सुन रहे थे जैसे उन्हें उस पर दया ही न आ रही हो. फिर बोल पड़े सुनो अपने उलझन का उत्तर.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here