श्रीहरि विवाह के लिए धन का प्रबंध कैसे हो, इस बात से चिंतित है. देवताओं ने जब यह सुना तो उन्हें आश्चर्य हुआ. देवताओं ने कहा- कुबेर आवश्यकता के बराबर धन की व्यवस्था कर देंगे.

देवताओं ने कुबेर का आह्वान किया तो कुबेर प्रकट हुए. कुबेर ने कहा- यह तो मेरे लिए प्रसन्नता की बात है कि आपके लिए कुछ कर सकूं. प्रभु आपके लिए धन का तत्काल प्रबंध करता हूं. कुबेर का कोष आपकी कृपा से ही रक्षित है.

श्रीहरि ने कुबेर से कहा- यक्षराज कुबेर, आपको भगवान भोलेनाथ ने जगत और देवताओं के धन की रक्षा का दायित्व सौंपा है. उसमें से धन मैं अपनी आवश्यकता के हिसाब से लूंगा अवश्य, पर मेरी एक शर्त भी होगी.

श्रीहरि कुबेर से धन प्राप्ति की शर्त रख रहे हैं, यह सुनकर सभी देवता आश्चर्य में पड़ गए. श्रीहरि ने कहा- ब्रहमाजी और शिवजी साक्षी रहें. कुबेर से धन ऋण के रूप में लूंगा जिसे भविष्य में ब्याज सहित चुकाऊंगा.

श्रीहरि की बात से कुबेर समेत सभी देवता विस्मय में एक दूसरे को देखने लगे. कुबेर बोले- भगवन, मुझसे कोई अपराध हुआ तो उसके लिए क्षमा कर दें. पर ऐसी बात न कहें. आपकी कृपा से विहीन होकर मेरा सारा कोष नष्ट हो जाएगा.

श्रीहरि ने कुबेर को निश्चिंत करते हुए कहा- आपसे कोई अपराध नहीं हुआ. मैं मानव की कठिनाई का अनुभव करना चाहता हूं. मानव रूप में उन कठिनाइयों का सामना करूंगा, जो मानव को आती हैं. धन की कमी और ऋण का बोझ सबसे बड़ा है.

कुबेर ने कहा- प्रभु यदि आप मानव की तरह ऋण पर धन लेने की बात कर रहे हैं तो फिर आपको मानव की तरह यह भी बताना होगा कि ऋण चुकाएंगे कैसे? मानव को ऋण प्राप्त करने के लिए कई शर्तें झेलनी पड़ती हैं.

श्रीनिवास ने कहा- कुबेर, यह ऋण मैं नहीं, मेरे भक्त चुकाएंगे लेकिन मैं उनसे भी कोई उपकार नहीं लूंगा. मैं अपनी कृपा से उन्हें धनवान बनाऊंगा. कलियुग में पृथ्वी पर मेरी पूजा धन, ऐश्वर्य और वैभव से परिपूर्ण देवता के रूप में होगी.

मेरे भक्त मुझसे धन, वैभव और ऐश्वर्य की मांग करने आएंगे. मेरी कृपा से उन्हेंं यह प्राप्त होगा बदले में भक्तोंं से मैं दान प्राप्त करूंगा जो चढ़ावे के रूप में होगा. मैं इस तरह आपका ऋण चुकाता रहूंगा.

कुबेर ने कहा- भगवन कलियुग में मानव जाति धन के विषय में बहुत विश्वास के योग्य नहीं रहेगी. उन पर आवश्यकता से अधिक विश्वास करना क्या उचित होगा?

श्रीनिवास जी बोले- शरीर त्या्गने के बाद तिरुपति के तिरुपला पर्वत पर बाला जी के नाम से लोग मेरी पूजा करेंगे. मेरे भक्तोंे की अटूट श्रद्धा होगी. वह मेरे आशीर्वाद से प्राप्त धन में मेरा हिस्सा रखेंगे. इस रिश्ते में न कोई दाता है और न कोई याचक.

हे कुबेर, कलियुग के आखिरी तक भगवान बालाजी धन, ऐश्वर्य और वैभव के देवता बने रहेंगे. मैं अपने भक्तों को धन से परिपूर्ण करूंगा तो मेरे भक्त दान से न केवल मेरे प्रति अपना ऋण उतारेंगे बल्कि मेरा ऋण उतारने में भी मदद करेंगे.

इस तरह कलियुग की समाप्ति के बाद मैं आपका मूलधन लौटा दूंगा. कुबेर ने श्रीहरि द्वारा भक्त और भगवान के बीच एक ऐसे रिश्ते की बात सुनकर उन्हें प्रणाम किया और धन का प्रबंध कर दिया.

भगवान श्रीनिवास और कुबेर के बीच हुए समझौते के साक्षी स्वयं ब्रहमा और शिवजी हैं. दोनों वृक्ष रूप में साक्षी बन गए. आज भी पुष्क रिणी के किनारे ब्रह्मा और शिवजी बरगद के पेड़ के रूप में साक्षी बनकर खड़े हैं.

ऐसा कहा जाता है कि निर्माण कार्य के लिए स्थान बनाने के लिए इन दोनों पेड़ों को जब काटा जाने लगा तो उनमें से खून की धारा फूट पड़ी. पेड़ काटना बंद करके उसकी देवता की तरह पूजा होने लगी.

श्रीनिवास और पदमावती की शादी पूरे धूमधाम से हुआ जिसमें सभी देवगण पधारे. भक्त मंदिर में दान देकर भगवान पर चढ़ा ऋण उतार रहे हैं जो कलियुग के अंत तक जारी रहेगा. (बालाजी भगवान की प्रचलित कथा)

संकलन व संपादनः राजन प्रकाश

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