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परंतु देवी न मानीं. वह भिक्षुकों का कल्याण हर हाल में देखना ही चाहती थीं. उनकी जिद के आगे देवता विवश हो गए. पत्नी को साथ लिया और चले.
देवता भिक्षुकों के सामने प्रकट हुए और बोले- तुम बहुत समय से इस मंदिर के समक्ष बैठते हो. आज कोई ऐसा वरदान मांग लो जिससे तुम्हारे कष्ट दूर हो जाएं.
भिक्षुक परिवार प्रसन्न हो गया. सबसे पहले स्त्री बोल पड़ी- हे देव! आप प्रसन्न हैं तो मुझे 20 वर्ष की परम सुंदर नवयुवती बना दें जिसके बराबर के सौंदर्य का आसपास कोई न हो.
देवता ने तथास्तु कहा और वह देखते ही देखते परम सुंदर युवती बन गई. स्वयं को फटेहाल और पत्नी को रूपवती देखकर उसका पति जल-भुन गया.
वह चिढ़कर कोसने लगा- मुझे तेरे मन की आकांक्षाएं पहले ही पता थीं. तू मेरे अशक्त होने पर साथ छोड़ देगी. इसी कारण मैंने कोई धन सहेज कर नहीं रखा वरना तो उसे लेकर किसी के साथ भाग जाती.
देवी यह सब देखकर हैरान थीं. देवता को तो उनके मन की कुटिलता का प्रमाण देना था सो वह अभी वहां से गए नहीं थे.
देवता ने फिर कहा- तुम इसे कोसना बंद करो. मैं तुम्हें भी एक वरदान दे सकता हूं. बोलो क्या चाहिए.
वह पत्नी को देखकर क्रोध से तमतमा रहा था. उसने गुस्से में मांग लिया- मेरी पत्नी सुअरी बन जाए.
देवता ने उसकी इच्छा पूरी कर दी और वह परम रूपवती स्त्री से तुरंत सुअरी बन गई.
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mujhe aapki karha bahut achi lagi aap eshi gyan wardhak katha likhte rahiye kuki ye hamari aaj ki janreshan ke liye bahut jaruri he main apne bachon ko bhi padhata hu aapki katha
thank you sir
by manoj bhardwaj
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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