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नगर में प्रवेश करने से पहले उसने सोचा भोजन कर लिया जाए. उसने जैसे ही रोटियां निकालीं एक कुतिया तुरंत के जन्मे अपने तीन बच्चों के साथ आ खड़ी हुई.
कुतिया ने बच्चे जंगल में जन्म दिए थे. बारिश के दिन थे और बच्चे छोटे थे इसलिए वह उन्हें छोड़कर नगर में नहीं जा सकती थी. व्यापारी को दया आ गई. उसने एक रोटी कुतिया को खाने के लिए दे दिया.
कुतिया पलक झपकते रोटी चट कर गई लेकिन वह अब भी भूख से हांफ रही थी. व्यापारी ने दूसरी रोटी, फिर तीसरी और फिर चारो रोटियां कुतिया को खिला दीं. खुद केवल पानी पीकर सेठ के पास पहुंचा.
व्यापारी ने सेठ से कहा कि वह अपना पुण्य बेचने आया है. सेठ व्यस्त था. उसने कहा कि शाम को आओ. दोपहर में सेठ भोजन के लिए घर गया और उसने अपनी पत्नी को बताया कि एक व्यापारी अपने पुण्य बेचने आया है. उसका कौन सा पुण्य खरीदूं.
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God helps those who help themselves,at present every man running behind money so that every person decieveing each other
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