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जब माहौल शांत हुआ तो सेठ ने कहा- ‘गुरुदेव आपने ऐसा क्यों किया, सिक्के हड़पने की चाहत में तो लोग एक दूसरे की जान भी ले सकते थे.’ नानकदेव ने सेठ से कहा, “यही आपके प्रश्न का उत्तर था. आप ने खुद देख लिया कि ये वही लोग थे जो प्रवचन सुनते समय सब कुछ भूल कर भक्ति भाव में डूब गए थे.
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Shandar upyogi jankaree katha/kahaneion k dwara sabhi tk pahunchtee hn, jo karya aapke dwara kiya gaya ek achha kam h
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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