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उपमन्यु ने कहा-गुरुदेव मुझे क्षमा कर दें. मैं आज से ऐसा नहीं करूंगा.
कुछ दिनों बाद फिर गुरूदेव ने पूछा- उपमन्यु आजकल तुम अपने जीवन का निर्वाह कैसे करते हो?
उपमन्यु बोला- आजकल मैं इन गायों का दूध पीकर ही अपनी जीविका की निर्वाह करता हूं जिन्हें मैं चराने लेकर जाता हूं.
गुरू ने कहा- ये गायें तो मेरी हैं और मेरी आज्ञा के बिना इनका दूध पीना अपराध है. यह तो अऩुचित कर रहे हो तुम.
उपमन्यु को बात समझ आई. उसने अब दूध पीना भी छोड़ दिया.
कुछ दिनों बाद फिर गुरू ने पूछा- तुम भिक्षा नहीं मांगते, दूध नहीं पीते. तुम्हारे शरीर को देखकर लगता नहीं कि उपवास कर रहे हो, फिर खाते क्या हो?
उपमन्यु बोला- गुरूदेव जब बछड़े अपनी मां का दूध पीने लगते हैं तब उनके मुंह से गिरा फेन पीकर मैं काम चला लेता हूं.
गुरूदेव बोले- पुत्र बछड़े बहुत दयालु होते हैं. वह तुम्हारे लिए अधिक फेन फेंकते होंगे और इस चक्कर में खुद भूखे रह जाते होंगे. यह तो उचित नहीं है. इस तरह तो तुम गोवत्सों के साथ अन्याय में भागी हो रहे हो.
अब उपमन्यु उपवास करने लगे. दिनभर बिना कुछ खाए-पीए गायें चरानी पड़तीं. जब भूख बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने आक के पत्ते खा लिए.
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Please share stories, of Chatriya, so there will be more and more Chatriya will be created, all Hindus have lost their Chatriya.
Have no one to fight for Hindu dharma, no one have love for their society.
Awareness need to be created.
All Hindu ritual need to be compare with science, because Hinduism is purely based on science.
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