हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[fblike]

मछुआरे ने पूछा- अच्छा फिर अब क्यों? सेठ ने अपना दुखड़ा सुनाया- काम बढ़ने से अब चलना-फिरना नहीं हो पाता. व्यापार के नफा-नुकसान का हिसाब रखने की सुध में खाने की सुध नहीं रहती.

काम बढ़ने से चिंता बहुत बढ़ गई और रक्तचाप ने धेर लिया. रक्तचाप के कारण हृदय कमजोर हो गया है.

आपके बच्चे आपकी दवाई नहीं लाते? अमीर इतराया- पैसे कमाना इतना आसान नहीं. पूरे परिवार को व्यापार में लगा रखा है मैंने. वे ज्यादातर बाहर ही रहते हैं.

मछुआरे ने मछली की बाल्टी उठाई और कहा- सेठजी मुझे और मछलियां पकड़ने की जरूरत नहीं. धन कम है मगर सुकून है, आडे वक्त में परिवार है.

मुझे लगता है कि आपको मछलियों का मोह छोड़ने की ज्यादा जरूरत है. मैं आपसे ज्यादा सुखी हूं.

धन जीवन में सुविधाएं ला सकता है लेकिन खुशियों का गारंटी वाला पैमाना धन नहीं हो सकता. जो धनी हैं उनके ऐश्वर्य तो दिखाई पड़ते हैं, लेकिन कभी उनकी परेशानियां जानें तो शायद मोह कम हो जाए.

1 COMMENT

  1. These stories r very meaning full & useful for our genration,but very few people know & under stand this. Please keep going .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here