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सीताजी को खोजने निकले हनुमानजी विशाल समुद्र को देखकर घबराए. तब जामवंत ने उन्हें उनके बल का स्मरण कराया. पवनपुत्र ने समुद्र लांघकर श्रीराम का कार्य पूरा किया.

उन्होंने लंका दहन किया लेकिन अग्नि के वरदान से उन पर कोई असर नहीं हुआ. रावण के महल में कैद ग्रहों को मुक्त कराया. ग्रहों ने उन्हें वरदान दिया कि हनुमानजी के भक्तों पर ग्रहों की बुरी दशा का प्रभाव नहीं पड़ेगा.

हनुमानजी में सभी देवों की शक्तियां निहित हैं इसीलिए उन्हें सर्वसंकट हारी कहा जाता है. उनकी उपासना से सारे रोगों और सभी कष्टों का निवारण होता है और ग्रहों के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है.

संकलन व संपादन: राजन प्रकाश

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