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कुछ ही दिन बीते थे कि एक दिन जब राज दरबार सजा हुआ था, उस साधु ने चिल्ला कर कहा कि सब लोग तुरंत राजमहल से बाहर निकल जायें. उस साधु के चमत्कार से सभी वाकिफ ही थे सो सब बाहर निकल गये.

सभी लोग राजमहल से बाहर आ गए तो सबके बाद साधु उससे बाहर निकला. साधु का निकलना था कि राजमहल भरभरा कर गिर गया. इस घटना के बाद तो सारे राजकाज में साधु का दखल और नियंत्रण बढ गया.

अपने बढ़ती हैसियत के चलते साधु को बहुत घमंड हो गया और वह अपने को सर्वेसर्वा समझने लगा. अभिमान ने उसकी बुद्धि हर ली थी. अपना प्रभाव और हेकड़ी जताने के लिये वह ऊट-पटांग फैसले करने लगा.

राजमहल के मुख्य द्वार के ठीक सामने भगवान गणेश की एक बहुत भव्य मूर्ति स्थापित थी. अभिमान के चलते एक दिन साधु ने राजमहल के सामने स्थित गणेशजी की मूर्ति को वहां से हटवाने का आदेश दिया.
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