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शिवकृपा से आपके दर्शन हो गए यही इस जीवन का सुफल मानूंगी. वह शिवयोगी रानी सुमति के उत्तर से बड़े खुश हुए और बोले- देवी तुम महामृत्युंजय मंत्र का जाप आरंभ करो.
शिवयोगी ने खुद भस्म लेकर उसपर मंत्र पढा और थोड़ा सा मरे हुये बालक के मुंह में डाला और बाकी उसके और सुमति के शरीर पर. बालक जीवित हो उठा. बालक और सुमति के सारे फोड़े, घाव दूर हो गये. देह चमकने लगी.
शिवयोगी ने कहा, बेटी तुम जीवन भर ऐसी ही युवा रहोगी. अपने बेटे का नाम भद्रायु रखो यह बड़ा होकर नामी विद्वान बनेगा, वीर भी होगा और अपना खोया राज्य भी वापस पा लेगा. मन को महादेव के ध्यान में लगाओ.
सुमति और भद्रायु दोनों शिव अर्चना और मृत्युंजय मंत्र का जाप करने लगे. सोलह साल बीत गये. अब भद्रायु पढ लिखकर एक सुंदर युवक बनने की ओर था तभी शिव योगी ऋषभ एक बार फिर वहां आये. भद्रायु उनकी चरणों में लोट गया.
उन्होंने भद्रायु को न केवल आशीर्वाद बल्कि तरह तरह की शिक्षाएं भी दीं. शिव योगी ऋषभ ने कहा, भद्रायु जल्द ही तुम अपना वह राज्य हासिल करोगे जिस पर तुम्हारा अधिकार है.
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