हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
पहले ही दिन कई प्रकार के पकवान बनाकर उसने पंडितजी के सामने परोस दिया. पर ज्यों ही पंडितजी ने खाना चाहा, उसने सामने से परोसी हुई थाली खींच ली.
इस पर पंडित जी क्रुद्ध हो गए और बोले, यह क्या मजाक है? गणिका ने कहा, यह मजाक नहीं है पंडित जी, यह तो आपके प्रश्न का उत्तर है.
यहां आने से पहले आप भोजन तो दूर, किसी के हाथ का पानी भी नहीं पीते थे,मगर स्वर्ण मुद्राओं के लोभ में आपने मेरे हाथ का बना खाना भी स्वीकार कर लिया.
यह लोभ ही पाप का गुरु है.
संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
ये भी पढ़ें-
किस कारण भगवान श्रीराम ने नर नहीं, वानर सेना के साथ की थी लंका पर चढ़ाई?
ये है वशीकरण का अचूक मंत्र: जिसको चाहें कर ले वश में
पार्वतीजी का शिवजी से प्रश्नः करोड़ों करते हैं गंगास्नान, फिर स्वर्ग में क्यों नहीं मिलता सबको स्थान?
न मृत्यु न काल, जानिए शास्त्र किसे मानते हैं प्राणी के अंत का कारण
हम ऐसी कथाएँ देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page