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देवी ने कहा- मैं तो बस इतना बताने आई हूं कि मेरा स्वभाव चंचल है. वर्षों से तुम्हारे भवन में निवास करते-करते मैं ऊब चुकी हूँ. इसलिए अब यहाँ से जा रही हूं.
सेठ बोला- विनती है कि आप यहीं रहें. किन्तु अगर आपको यहां अच्छा नहीं लग रहा है तो मैं आपको कैसे रोक सकता हूं. जो उचित लगे आप वही करें. लक्ष्मी उसके घर से चली गईं.
थोड़ी देर बाद वेश बदलकर लक्ष्मीजी ने यश का रूप धरा और पुनः सेठ के स्वप्न मेँ आकर बोलीं- सेठ मुझे पहचान रहे हो? सेठ ने कहा कि वह उसे नहीं पहचानता.
यश वेशधारी लक्ष्मी ने कहा- मैं यश हूं. मेरे ही कारण तुम्हें कीर्ति और यश मिला है. लेकिन जब लक्ष्मी यहां से चली गईं तो मेरा क्या काम. अब मैँ तुम्हारे साथ नहीँ रहना चाहता.
सेठ ने कहा- ठीक है, यदि आप भी जाना चाहते हैं तो वही सही. आप मेरे घर में वास करते तो अच्छा था. पर आपको बलपूर्वक तो रोक नहीं सकता. आपको जो उचित लगे वही करें.
सेठ ने स्वप्न में देखा कि वह दरिद्र हो गए हैं. धन और यशहीन होने के कारण लोग उनसे कतराने लगे हैं. सदैव उनकी चापलूसी करने वाले भी अब उनकी बुराई करने लगे हैं.
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Nice
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
आप नियमित पोस्ट के लिए कृपया प्रभु शरणम् से जुड़ें. ज्यादा सरलता से पोस्ट प्राप्त होंगे और हर अपडेट आपको मिलता रहेगा. हिंदुओं के लिए बहुत उपयोगी है. आप एक बार देखिए तो सही. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा. हमें विश्वास है कि यह आपको इतना पसंद आएगा कि आपके जीवन का अंग बन जाएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक? https://goo.gl/tS7auA
आप पोस्ट बहुत अच्छी लगी
क्या गया हुवा धन वापस आ सकता है जो कपट से ले लीया हो.
यह धन महेनत का था
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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