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अमीर आदमी झुंझलाया- तुम्हें तो अक्ल ही नहीं है. दुनियादारी का कुछ भी ज्ञान नहीं है. अभी तालाब में ही मछलियां पकड़ते हो. कब तक तालाब में ही रहोगे.

तालाब से बाहर निकलो. कुछ बड़ा सोचो. अब तुम नदी और समुद्र में उतरो. ज्यादा मछलियां पकड़ोगे तो ज्यादा पैसे कमाओगे. नाव उसमें काम आएगी.

मछुआरे ने उसी मासूमियत से पूछा कि फिर उसके बाद क्या करूँगा,कुछ बताइए?

अमीर को लगा कि शायद अब मछुआरे को ज्ञान होने लगा है. उसे समझ आने लगी है. क्यों न एक नादान को अपने व्यापारिक ज्ञान से लाभान्वित किया जाए.

उसने समझाया- तुम पैसे जोड़ते रहना. एक के बाद एक कई बड़ी नाव खरीदना. खूब सारी मछलियां पकड़ना. दूर-दूर तक बेचना. खूब पैसे कमाना. अपने साथ बहुत से सहायक रख लेना.

मछुआरे ने फिर से वही सवाल कर दिया. उसके बाद मैं क्या करूँगा?

अमीर ने समझाया- फिर तुम भी मेरी तरह एक बहुत अमीर आदमी बन जाओगे. रूपए-पैसे की दिक्कत न रहेगी.

मछुआरे ने पूछा- अमीर हो जाने से क्या हो जाएगा?

अमीर ने कहा- तुम्हारे पास पैसों की कोई कमी नहीं रहेगी तो तुम अपनी जिंदगी शांति और आनंद से बिता पाओगे.

मछुआरे ने कहा- ऐसी सुखद जिंदगी तो मैं अभी भी बिता रहा हूं. शांति, सुकून आनंद सब है. मुझे कोई अभाव महसूस ही नहीं हो रहा.

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