October 8, 2025

क्यों मोदक अर्पित किए बिना अधूरी रहती है गणपति की पूजाः दिव्य मोदक की कथा

lord ganesha modaka
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एक बार की बात है. देवतागण शिव-पार्वती के दोनों पुत्रों गजानन और षडानन(कार्तिकेय) के दर्शन को आए. दोनों माता पार्वती के साथ खेल रहे थे और जगतजननी उन्हें एक आम माता की तरह स्नेह कर रही थीं.

यह देखकर देवताओं के मन में बालकों के प्रति बड़ा स्नेह और माता के चरणों में अगाध श्रद्धा उत्पन्न हुई. देवों ने अपने पुण्यफल से एक मोदक यानी लडडू बनाया और उसे अमृत से सींचकर माता के चरणों में अर्पित किया

गजानन और षडानन दोनों मोदक के लिए जिद करने लगे. दोनों में से कोई बंटवारे को तैयार न था. जिसे चाहिए था पूरा. माता के सामने बड़ी उलझन हुई कि क्या किया जाए. देवों को भी उत्सुकता हुई कि आखिर माता क्या हल निकालती हैं.

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