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भगवान किसे मानें, किसे भजें जिससे पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो जाए. परमात्मा को, देवता हैं या कोई अऩ्य शक्ति को, इस पर बहुत से ऋषियों को एक बार कौतूहल हुआ.
वे ब्रह्माजी के पास पहुंचे उनसे इस प्रश्न के निवारण के लिए. ब्रह्माजी और ऋषियों के बीच चर्चा का एक सुंदर प्रसंग प्रश्न उपनिषद में आया है. छोटा सा प्रसंग है आनंद लीजिए जिसमें ब्रह्माजी श्रीकृष्ण के बारे में बता रहे हैं.
एक बार ऋषियों ने ब्रह्माजी से पूछा- हमें बताइए कि किस देवता के तत्व को पूरा समझ लेने से संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हो सकता है. किसके द्वारा प्रेरित होकर संसार आवागमन के चक्र में पड़ा रहता है?
ब्रह्माजी ने कहा- स्वाहा की माया शक्ति से प्रेरित होकर संसार आवागमन के चक्र में पड़ा रहता है. इसलिए गोपीजन वल्लभ श्रीकृष्ण के तत्व को पूरा समझ लेने से भी संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हो सकता है.
मुनियों ने पूछा- श्रीकृष्ण कौन हैं? गोपीजन वल्लभ कौन हैं, स्वाहा कौन हैं? हमें इनके बारे में विस्तार से बताएं.
ब्रह्माजी बोले- जो पाप का हरण करते हैं वह कृष्ण हैं. गौ, भूमि और वेदवाणी के ज्ञाता और अविद्या कला के निवारक हैं गोपीजन वल्लभ. इनके नाम का जो ध्यान करता है वह अमृत स्वरूप को प्राप्त होता है.
मुनियों ने पूछा- भगवन! श्रीकृष्ण का ध्यान करने योग्य रूप कौन सा है? उनके नाम के अमृत का स्वाद लेने के लिए किस प्रकार से भजन करना चाहिए, यह भी बताएं.
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Nice katha and knowledge
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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