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इसलिए हे कुमार! हरिचर्चा, आत्मज्ञान चर्चा, ब्रह्मज्ञान की चर्चा करने वाला व्यास है जो हमारे मन की बिखरती वृत्तियों को कथा द्वारा एकाग्र करे. हमारे चित्त की वृत्तियों को एकाकार करने की, उनमें भगवद्भाव में लाने की व्यवस्था करे उसका नाम व्यास है.
आचार्य उसे कहते हैं जो हमारे मन को सात्विकक आचरण करने का सामर्थ्य दें, हमें उस प्रयत्न में सहायता करें. गुरू वह हैं जो हमारे आत्मा की परमात्मा से भेंट कराने का सामर्थ्य रखते हों.
कोई सिर्फ व्यास होता है, कोई आचार्य, कोई गुरू मगर कोई-कोई ब्रह्मवेत्ता संत ऐसा होता हैं जो व्यास भी हो, आचार्य भी और सदगुरू भी. भगवान श्रीकृष्ण ऐसे आचार्य ऐसे व्यास ऐसे गुरू हैं कि युद्ध के मैदान में अर्जुन को आत्मज्ञान-अमृत का पान करा दिया है.
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