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चार गधों पर लदे माल के बारे में सुनकर उनके चेहरे की रंगत गायब थी. कभी ऊपर भगवान की ओर देखकर कुछ दुआ मांगते कभी सामने देखने लगते सौदागर के गधों को, उन पर लदे माल को.

हिम्मत करके उन्होंने पूछा- सौदागर यह भी बता ही दो कि इस अंतिम गधे पर कौन सी खुराफ़ाती चीज लादकर बेचने को लिए जा रहे हो?

सौदागर ने भी फकीर के भाव भांप लिए थे. उसे खुराफाती शब्द शायद जमा नहीं.

उसने उनमें थोड़ी हिम्मत देते हुए जवाब दिया- आप इतने निराश न हों. दुनिया ऐसी ही हो गई है. इस पांचवीं गठरी के बारे में जानेंगे तो आपको खुशी होगी कि आपने परिवार नहीं बसाया.

इस गधे पर लदी चीज को आप खुऱाफाती कह सकते हैं पर इसके खरीदार इसे करामाती चीज मानते हैं.

फकीर ने कहा- अब पहेलियां बुझाना छोड़ो और बता भी दो कि ऐसा क्या लाद रखा है?

सौदागर ने आंखों में धूर्तता के भाव भरकर बताया- इस गधे पर छल-कपट से भरी गठरी रखी है. इसकी मांग वैसे तो आदमी-औरत, नौजवान, अधेड़, बूढ़े, अमीर-गरीब हर तबके, हर उम्र के लोगों में है पर उन औरतों में इसकी मांग बहुत ज्यादा है जिनके पास घर में कोई काम-धंधा नहीं हैं.

जो छल-कपट का सहारा लेकर दूसरों की लकीर छोटी कर अपनी लकीर बड़ी करने के दांव-पेंच में लगी रहती हैं. इस फेर में घर जहन्नुम बना है और मजे की बात ये कि वे न तो इस बात को समझेंगी और न स्वीकारेंगी.

फकीर के लिए तो यह सचमुच में एक रहस्योद्घाटन ही था. परिवार में यह दशा हो गई है अब!

अब तक प्रश्न फकीर पूछ रहे थे और सौदागर उसका जवाब दे रहा था. अब एक प्रश्न सौदागर के भी दिमाग में आ गया.

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