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इस पर भगवान विष्णु ने कहा- शेष तुम हर दिन अपने हजार मुंह से मेरे उस एक नाम को जो मेरे गुण बताता हो, कहना. जब सारे नाम खत्म हो जायें समझो तुम्हारा काम पूरा.

तुम धरती को उठा लो मैं कछुआ बन कर तुम्हें धरती समेत आधार दिए रहूंगा. यह सुनकर शेष पाताल के लाख योजन नीचे जा कर धरती को केवल एक फन पर ही उठा लिया. यह देख उनके साथी नाग, अतल, वितल, सुतल, महातल, तलातल और रसातल जहां भी जगह मिली चले गए.

संकलनः सीमा श्रीवास्तव
संपादनः राजन प्रकाश

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