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जब ब्रह्मादि देवताओं की प्रार्थना पर मैंने पृथ्वी पर अवतार लिया तब वे गण भी मेरे साथ आए. हे भामिनी! ये सब जो यादव हैं मेरे ही गण हैं जो मेरे साथ आए हैं. तुम वही गुणवती हो जो कार्तिक स्नान के प्रभाव से मुझे अतिप्रिय हो.
तुम्हारे पिता देवशर्मा इश जन्म में तुम्हारे पिता सत्राजित हुए और तुम्हारे पति चंद्रशर्मा इस जन्म में अक्रूरजी बने. तुमने तुलसी का बाग लगाया था उसी का प्रभाव है कि यह कल्पवृक्ष तुम्हारे आंगन में है.
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