yamraj-555ef8f70890f_l

हमारा फेसबुक पेज लाइक कर लें इससे आपको प्रभु शरणम् के पोस्ट की सूचना मिलती रहेगी. इस लाइन के नीचे हमारे फेसबुक पेज का लिंक है उसे क्लिक करके लाइक कर लें.
[sc:fb]

अब आप बिना इन्टरनेट के पौराणिक कथाएं, व्रत-त्योहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र, श्रीराम शलाका प्रश्नावली, व्रत-त्योहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं. डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

वाजश्रवा के पुत्र उद्दालक विश्वजीत यज्ञ कर रहे थे. उद्दालक ने अपनी सारी संपत्ति दान कर दी थी. उनकी संपत्ति में वे गाएं भी थीं जो न तो दुधारू थीं और न ही स्वस्थ.

उद्दालक के पुत्र थे नचिकेता. एक बार उद्दालक ने नचिकेता को कहा था कि ऐसी गाएं जिनका दान करना उचित नहीं, अगर उनका दान किया जाए तो उस दान से मंगल के स्थान अमंगल होता है.

नचिकेता इस विचार से अधीर हो उठे क्योंकि दान की गाएं दान के लिए उपयुक्त न थीं. पिता का कहीं कोई अमंगल न हो जाए इस चिंता से दुखी नचिकेता ने सम्मान के साथ उद्दालक से कहा- पिताजी! मैं भी आपका धन हूं, मुझे किसे दान कर रहे हैं?

उद्दालक ने बात अनसुनी कर दी लेकिन नचिकेता बार-बार वही प्रश्न करते रहे- पिताजी! पुत्र सबसे बड़ी संपत्ति होता है, इसलिए मुझे किसे दान कर रहे हैं?

तीसरी बार पूछ्ने पर उद्दालक चिढ़ गए.

क्रोधित होकर बोले– मैं तुम्हें मृत्यु को देता हूं. नचिकेता जरा भी विचलित नहीं हुए.

उन्होंने उद्दालक से कहा -‘शरीर नश्वर है, पर सदाचरण सर्वोपरि. अपने वचन की रक्षा के लिए मुझे यम लोग जाने की आज्ञा दें.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here