हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]

राजा रुक्मांगद मोहिनी की नई शर्त सुनकर बेहोश होने लगे पर आज्ञाकारी धर्मांगद ने अपना सिर और रानी संध्यावली ने पुत्र का बलिदान स्वीकार लिया. राजा ने एक बार फिर बहुत समझाया पर वह अपने हठ पर अड़ी रही.

आखिरकार राजा रुक्मांगद तलवार लेकर धर्मांगद का सिर काटने चले. धर्मांगद ने माता-पिता के चरणों में सिर टेककर प्रणाम किया और भगवान् विष्णु के ध्यान में मग्न हो अपना सिर झुका लिया.

भगवान विष्णु राजा रुक्मांगद, रानी संध्यावली और धर्मांगद का धैर्य देख रहे थे. चमचमाती तलवार धर्मांगद के सिर को छूने वाली ही थी, त्यों ही भगवान् श्रीहरि ने प्रकट होकर राजा का हाथ पकड़ लिया.

इस अदभुत नजारे को देवगण भी देख रहे थे. उनके देखते-देखते ही रुक्मांगद अपनी रानी संध्यावली एवं पुत्र धर्मांगद के साथ भगवान् विष्णु में सशरीर विलीन हो गए.

पत्थरदिल मोहिनी भी यह सब देख रही थी. पर राजा के पुरोहित वसु से यह सब देखा नहीं गया. उनके संकल्प लेकर जो मंत्र पढा तो दुष्ट मायावी नारी मोहिनी वही भस्म होकर राख का ढेर बन गई.

क्या आपको यह कथा पसंद आई?

ऐसी अनगिनत कथाओं का एक संसार है जहां आप धार्मिक-आध्यात्मिक कथाएं, जीवन को बदलने वाली प्रेरक कथाएं, रामायण-गीता, ज्योतिष और सभी प्रमुख मंत्रों को पढ़ सकते हैं उन मंत्रों के क्या लाभ हैं, उसके बारे में जान सकते हैं.

किसी और के कहने पर विश्वास करने से अच्छा एक बार स्वयं आजमाकर देख लिया जाए. इस लाइन के नीचे प्रभु शरणम् एप्प का लिंक है. उसे क्लिक करके एप्प को देखें फिर निर्णय़ करें. ये एक धार्मिक प्रयास है. एक बार तो इसे देखना ही चाहिए.

पौराणिक कथाएँ, व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र, गीता ज्ञान-अमृत, श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ने के हमारा लोकप्रिय ऐप्प “प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प” डाउनलोड करें.

Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

[sc:fb]

ये भी पढ़ें-

श्रीराधाजी का रिश्ता लेकर वृषभानुजी गए थे नंदबाबा के घर?

जानिए विवाह का आठवां वचन क्या है?

परमहंस का ज्ञान का लोटा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here