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यह देवी के सारस्वत बीज मंत्र ‘ऐं’ के काफी करीब है जिसको उसने न तो कभी सुना था और न ही कभी बोला था. अनजाने ही उसके मुह से ‘ऐं’ की बजाय केवल ऐ ही निकला.
उसकी सत्यनिष्ठा से देवी तो पहले से ही प्रसन्न थीं. वह तो उसे दर्शन देकर उसका जीवन सुधारने का मार्ग देख रही थीं. भगवती जगदम्बा ने उतथ्य के हृदय में दुर्लभ विद्या का संचार कर दिया.
जगदम्बा की कृपा से मूर्ख उतथ्य पल भर में ही सभी विद्याओं का ज्ञाता हो गया. घायल सुअर भागकर सत्यव्रत की कुटिया में छिप गया. उसे खोजता एक शिकारी आ खड़ा हुआ.
शिकारी ने उतथ्य को आसन पर बैठा देख प्रणाम किया और पूछा- आपने किसी घायल शूकर को देखा है? उतथ्य धर्मसंकट में फँस गया. सत्य बोले तो जीव हत्या, झूठ बोले तो उसका सत्यव्रत टूट जाएगा.
उतथ्य चुप रहा. शिकारी बोला मेरा परिवार दो दिन से भूखा है, आज यही एक शिकार मिला था. यह न मिला तो मेरे बच्चे तो भूख से मर जायेंगे. उतथ्य अब ज्ञानवान हो गया था.
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Your comment..prabhu sharma ji itni sundar kataye gyan vardhak bate aapne ham tak pahuchaya iske liye hum aapka aabhar prakat karte hai ..jai siya ram ji
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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Mujhe Satyavrat ka uttar ati uttam laga. Jai Maa Jagadamba