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मन से ध्यानपूर्वक अभ्यास से आत्मा में छुपे हुए परम देव पर आत्मा के निवास का आभास होता है. जवाब सुन कर राजा खुश हुआ ओर कहा अब मेरे दूसरे सवाल का जवाब दो, ईश्वर किधर देखता है?

ब्राहमण के बेटे ने तुरंत एक मोमबत्ती मगाई और उसे जलाकर राजा से बोला- महाराज यह मोमबत्ती किधर रोशनी करती है? राजा ने कहा इसकी रोशनी चारों तरफ है. लड़के ने कहा यह ही आप के दूसरे सवाल का जवाब है.

परमात्मा सर्वदृष्टा है और सभी प्राणियों के कर्मों को देखता है. राजा ने खुश होते हुए कहा कि अब मेरे अंतिम सवाल का जवाब दो कि परमात्मा क्या करता है?

ब्राहमण के बेटे ने पूछा- यह बताइए कि आप इन सवालों को गुरु बनकर पूछ रहे हैं या शिष्य बन कर? राजा थोड़े विनम्र होकर बोल- मैं यह प्रश्न शिष्य बनकर पूछ रहा हूं.

यह सुनकर लड़के ने कहा- वाह महाराज! आप भले शिष्य हैं. गुरु नीचे जमीन पर और शिष्य सिंहासन पर विराजमान है. धन्य है महाराज आप को और आप के शिष्टचार को. यह सुनकर राजा लज्जित हुए.

अपने सिहासन से नीचे उतरे और ब्राहमण बेटे को सिंहासन पर बैठा कर पूछा- अब बताइए ईश्वर क्या करता है? जवाब मिला- अब क्या बतलाना रह गया है! ईश्वर यही करता है, राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है.
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