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बाद में परशुरामजी और उनके संगियों ने यह क्षेत्र बसाया और यह परशुरामक्षेत्र कहलाया. मुंबई का सोपारा क्षेत्र इसी के अंतर्गत है.

कश्यप की आज्ञा थी कि एक दिन भी पृथ्वी पर नहीं रहना है इसलिए परशुराम ने निर्णय कर लिया था कि अब वे धरती पर दिन में तो रहेंगे पर रात महेंद्र पर्वत पर गुजारेंगे.

वे रात होने से पहले मन के वेग से कुछ ही क्षणों में महेंद्र पर्वत पहुंच जाते.

परशुराम के कानों में पितरों का वह वाक्य गूंजता- बेटा! सार्वभौम राजा का वध ब्राह्मण की हत्या से भी बढ़कर है. जाओ, भगवान का स्मरण करते हुए तीर्थों का सेवन करके अपने पापों को धो डालो’.

परशुराम तीर्थाटन को निकले तभी उन्हें अपने गुरू भगवान शिव के वे वचन याद आए जो शिवजी ने शिक्षा देने के दौरान कहे थे. परशुराम उन दिनों शिवजी से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे.

शिवजी शिष्यों को परखने के लिए समय-समय पर उनकी परीक्षा लिया करते थे. एक दिन परखने के लिए गुरु ने शिष्यों को नीति के विरुद्ध कुछ कार्य करने का आदेश दिया. परशुराम को छोड़ सभी छात्र संकोच में दब गए.

परंतु परशुराम ने गुरु से साफ-साफ कह दिया कि वह ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जो नीति विरूद्ध हो. वह लड़ने को खड़े हो गये और समझाने-बुझाने से भी न माने. शिवजी से ही भिड़ गये.

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3 COMMENTS

    • अभी यह आईफोन के लिए नहीं है. जल्द ही उपलब्ध होगा. क्षमाप्रार्थी हैं.

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