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महादेव के अपने पास मौजूद रहने का वचन पाकर देवी के मन का कष्ट दूर हुआ. देवी ने महादेव से पूछा- नाथ, वह सौभाग्यशाली अंजना कौन है जिसके शरीर से स्वयं सदाशिव अवतार लेने वाले हैं. आपने रुद्रावतार के लिए अंजना को क्यों चुना हैं?
महादेव ने पार्वती को कथा सुनाई. देवराज इंद्र की सभा में पुंचिकस्थला नाम की अप्सरा थी जिसे ऋषि श्राप के कारण पृथ्वी पर वानरी बनना पड़ा. शापग्रस्त होकर वह ऋषि के चरणों में गिर गई और क्षमा याचना करने लगी.
बहुत अनुनय विनय करने पर ऋषि का क्रोध समाप्त हुआ. उन्होंने कहा- शाप खत्म नहीं किया जा सकता, संशोधन किया जा सकता है. वानर रूप में रहते हुए भी अपनी इच्छा से जब भी चाहोगी मनुष्य रूप धारण करने में समर्थ रहोगी. मेरा शाप तुम्हारे लिए वरदान साबित होगा.
यह कथा सुनाकर महादेव ने कहा- पृथ्वी पर वानर रूप में आकर पुंचिकस्थला, वानरराज केसरी की पत्नी अंजना बनीं हैं. शाप को वरदान में बदलने के लिए मेरा अंशावतार अंजना के गर्भ से होगा जो श्रीराम की सेवा करेगा.
इसी कथा के अगले भाग में पढ़िए हनुमानजी का राहु से युद्ध और सभी देवों के वरदान से सर्वशक्तिमान होने का प्रसंग. अगली पोस्ट में दूसरी कथा है इसका लिंक नीचे है.
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