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मुसलं शातनं गृह्य पुण्डरीकाक्ष रक्ष माम्।
उत्तरस्यां जगन्नाथ भवन्तं शरणं गत:।।4

हे पुण्डरीकाक्ष! आपको नमस्कार है. हाथों में शातन मुसल धारणकर जगन्नाथ आप उत्तर दिशा से मेरी रक्षा करें.

शारंगमादाय च धनुरस्त्रं नारायणं हरे।
नमस्ते रक्ष रक्षोघ्न ऐशान्यां शरणं गत:।।5

हे नारायण! आपको नमस्कार है. हाथों में शारंग धनुष धारण कर हे रक्षोघ्न आप ईशान कोण(उत्तर-पूर्व) से मुझ शरणागत की रक्षा करें.

पाञ्चजन्यं महाशंखम् अन्तर्बोध्यम् च पङ्कजम्।
प्रगृह्य रक्ष मां विष्णो आग्नेयर्या यज्ञसूकर।।6

हे वराह अवतार प्रभु! आपको नमस्कार है. पांचजञ्य महाशंख और पद्म अस्त्र को धारण कर हे विष्णु आप आग्नेय कोण से मुझ शरणागत की रक्षा करें.
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