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वामन पुराड़ और गरूड़ पुराण में वर्णित यह कवच देवों तक का भय दूर करने वाला है. यदि आपमें किसी कारणवश आत्मबल की कमी आ गई हो तो इसका पाठ आरंभ करें, आपके आत्मबल में निश्चित ही वृद्धि होगी.
गुरुवार श्रीहरि का दिन है इसलिए इसका आरंभ यदि गुरुवार से करें तो विशेष फलदायी है.
।।श्रीविष्णुपञ्जर स्तोत्रम्।।
नमो नमस्ते गोविन्द चक्रं गृह्य सुदर्शनम्।
प्राच्यां रक्षस्व मां विष्णो त्वामहं शरणं गत:।।1
(हे गोविंद! आपको नमस्कार है. आप अपना सुदर्शन चक्र धारण करें और पूर्व दिशा से मुझ शरणागत की रक्षा करें.)
गदां कौमोदकीं गृह्य पद्मनाभामितेद्युते।
याम्यां रक्षस्व मां विष्णो त्वामहं शरणं गत:।।2
हे पद्ममाभ! अपने हाथों में कौमोदकी गदा धारण करें और मुझ शरणागत की दक्षिण दिशा से रक्षा करें.)
हलमादाय सौनन्दं नमस्ते पुरुषोत्तम।
प्रतीच्यां रक्ष मे विष्णो त्वामहं शरणं गत:।।3
हे पुरुषोत्तम! आपको नमस्कार है. हाथों में सौनन्द हल लेकर पश्चिम दिशा से मुझ शरणागत की रक्षा करें)
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