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साधक को तभी ध्यान आया कि अरे कल ही तो रत्न बरसाने वाला नक्षत्र है. क्यों न एक प्रयोग इन्हीं लोगों के लिए कर दिया जाय. जो धन प्राप्त होगा उसे इन्हें सौंपकर जान छुड़ा ली जाए.

यह सोचकर उसने डाकुओं को समीप बुलाया और सारी रहस्य वार्ता कह सुनाई कि वह तांत्रिक है. वह एक खास नक्षत्र में धनवर्षा कराता है.

कल वह नक्षत्र है जिसमें तंत्र-मंत्र की शक्ति से रत्न बरसाये जा सकते हैं. यदि उसे आवश्यक पूजा करने की छूट दे दी जाय तो वह विपुल धन प्राप्त करा देगा.

तांत्रिक ने कहा- कल आकाश से रात के समय जितने भी रत्न बरसेंगे वे सब तुम लोग रख लो. उसके बगले मुझे बंधन मुक्त कर देना.

डाकू इस पर सहमत हो गये और उसके बंधन खोल दिए. आवश्यक पूजा अर्चना करने के लिए जो साधन जरूरी थे वे मंगा दिये.

साधना सही थी. दूसरे दिन रात को रत्न बरसे. डाकुओं ने उन्हें बटोरा और निहाल हो गए. शर्त के अनुसार उसे बंधनमुक्त भी कर दिया. लूटे गये वस्त्र आभूषण भी लौटा दिए.

साधक ने इस विपत्ति से छुटकारा पाने पर ठंडी सांस ली और आगे के रास्ते पर चल पड़ा. उस डाकू समुदाय का सरगना बहुत चतुर था. उसने साथियों को छोड़कर अकेले उसका पीछा किया.

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