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एक बार भगवान और देवराज इंद्र में इस बात पर बहस छिड़ गई कि दोनों में से श्रेष्ठ कौन हैं? उनका विवाद बढ़ गया.

इंद्र ने सोचा कि भगवान को अपने सामर्थ्य का आभास कराया जाए. इंद्र ने तय किया कि 12 वर्ष तक वर्षा नहीं होगी. देखें भगवान पृथ्वीवासियों कैसे जीवित रखते हैं.

इंद्र की आज्ञा से मेघों ने जल बरसाना बंद कर दिया. विवाद की यह बात धरती तक भी पहुंच गई.

मानवों ने सोचा यह विवाद कहीं सचमुच बारह वर्षों तक चला तो वे अपना कृषि कर्म ही भूल बैठेंगे. भूख एक सीमा से आगे बर्दाश्त नहीं होगी.

इसलिए कृषि कर्म करते रहना है अन्यथा देवों का विवाद समाप्त होने के बाद जब तक बारिश होगी तब तक तो हमारी संतानें कृषि कार्य भूल ही चुकी होगी.

मानव अपने कर्म से ही इस संकट का समाधान निकाले चल पड़े. किसानों ने इसे ईश्वर की इच्छा समझकर अपने-अपने खेत जोतने शुरू किए.

मिट्टी के नीचे छिपा मेढ़क बाहर आया और किसानों को खेती करते देख आश्चर्यचकित हुआ.

उसने कहा- इंद्रदेव और भगवान में श्रेष्ठता की लड़ाई छिड़ी हुई है. बारह वर्षों तक पृथ्वी पर वर्षा नहीं होगी. यदि वर्षा ही न हुई तो खेत जोतने का क्या लाभ?”
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