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लंका में महाबलशाली मेघनाद के साथ लक्ष्मणजी का बड़ा ही भीषण युद्ध चला. अंतत: मेघनाद मारा गया. रावण जो अब तक मद में चूर था अब उसके मन में भी श्रीरामजी की सेना से भय होे लगा.
खास तौर पर लक्ष्मण का पराक्रम सुनकर रावण थोड़े तनाव में आ गया था. रावण बेचैनी में महल में घूम रहा था.
रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण की मां कैकसी ने उसके पाताल में बसे दो भाइयों अहिरावण और महिरावण की याद दिलाई.
रावण को याद आया कि यह दोनों तो उसके बचपन के मित्र रहे हैं.
लंका का राजा बनने के बाद उनकी सुध ही नहीं रही थी. रावण यह भली प्रकार जानता था कि अहिरावण व महिरावण तंत्र-मंत्र के महापंडित, जादू टोने के धनी और मां कामाक्षी के परम भक्त हैं.
माता के याद दिलाने पर उसे अहिरावण और महिरावण की याद आई और उसे उनमें विजय की एक आस दिखाई दी. उसने युद्ध में उन दोनों की सहायता लेने का निश्चय किया.
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